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खून की जगह यूरिन से हो सकेगी शुगर की जांच! रायबरेली के छात्र ने डेवलप की स्ट्रिप
News Date:- 2024-06-15
खून की जगह यूरिन से हो सकेगी शुगर की जांच! रायबरेली के छात्र ने डेवलप की स्ट्रिप
Peeyush tripathi

रायबरेली,15 Jun 2024

सौजन्य से गौरव अवस्थी , वरिष्ठ पत्रकार,रायबरेली   

आपके शरीर के शुगर लेवल की जांच के लिए अब ब्लड सैंपल लेना यानी शरीर से खून निकालना जरूरी नहीं होगा। शुगर लेवल की जांच यूरिन (पेशाब) से भी की जा सकेगी। इसके लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी रायपुर में के शोध छात्र विभव शुक्ला ने एक टेस्ट स्ट्रिप विकसित की है। उनका यह नया शोध उन लोगों के लिए वरदान साबित हो सकता है जो रक्त परीक्षण से डरते हैं।

संस्थान के केमिस्ट्री डिपार्टमेंट में एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर कफील अहमद सिद्दिकी के निर्देशन में शोध कर रहे विभव शुक्ल रायबरेली जिले के सरेनी क्षेत्र के दौलतपुर गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता विनय कुमार शुक्ल उन्नाव के ऊंचगांव स्थित हरिवंश लाल शुक्ल इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य हैं । शोध छात्र विभव शुक्ला ने बताया कि पारंपरिक रूप से ग्लूकोज स्तर या डायबिटीज को रक्त नमूने से मापा जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत से लोग शरीर से खून निकाले जाने के भय और गलतफहमियों के कारण शुगर परीक्षण कराने से बचते हैं।

शुगर लेवल की जांच के लिए विभव नए शोध पर जुट गये। उनका लक्ष्य ऐसी टेस्ट स्ट्रिप्स बनाना था जो सस्ती और आसानी से उपलब्ध हो। जैसे, गर्भावस्था परीक्षण स्ट्रिप्स। उनका उद्देश्य है कि आम लोग अपने घर में बिना किसी इंजेक्शन या रक्त निकाले बगैर अपने शुगर स्तर की सही जांच यूरिन के माध्यम से कर सकें ।

वैभव का दावा है कि शोध में ऐसी टेस्ट स्ट्रिप्स का विकास हुआ है जो इन ग्लूकोज सांद्रताओं पर एक विशिष्ट रंग परिवर्तन दिखाती हैं। उनका कहना है कि यूरिन-आधारित टेस्ट स्ट्रिप से ग्लूकोज मॉनिटरिंग अधिक सुलभ और कम डरावनी हो जाएगी।

   विभव शुक्ल ने बताया कि  उनका यह शोध प्रसिद्ध जर्नल 'मटेरियल्स टुडे केमिस्ट्री' में भी प्रकाशित हो चुका है। विभव का यह शोध ग्लूकोज डिटेक्शन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है। दुनिया भर में उच्च शुगर स्तर से प्रभावित लाखों लोगों के साथ, यह नवाचार डायबिटीज प्रबंधन और समग्र स्वास्थ्य परिणामों में सुधार के लिए अपार संभावनाएं रखता है।

 

स्ट्रिप के जरिए कैसे होगी शुगर की जांच?

विभव शुक्ल ने अपने अनुसंधान में आयरन डोप्ड जिंक-बेस्ड मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क का उपयोग किया, जिसमें उन्होंने क्रेटनिन, यूरिया, ग्लूकोज सहित यूरिन के विभिन्न घटकों का परीक्षण किया। उन्होंने पाया कि आयरन डोप्ड जिंक-बेस्ड मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क जब ग्लूकोज के संपर्क में आता है, तो यूवी लाइट के तहत हरा रंग प्रदर्शित करता है, जबकि अन्य घटक कोई अलग रंग नहीं दिखाते। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के अनुसार, 2019 में लगभग 463 मिलियन वयस्क डायबिटीज से पीड़ित थे। वर्ष 2045 तक यह संख्या 700 मिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है।

 

गांव से निकल कर राष्ट्रीय संस्थान तक की यात्रा  

गंगा किनारे बसे दौलतपुर में जन्मे विभव ने प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही प्राप्त की। सरस्वती विद्या मंदिर, ऊंचगाँव, उन्नाव से कक्षा 12 की पढ़ाई के बाद रायबरेली के फिरोज गांधी कॉलेज से बी.एससी. और डीएवी कॉलेज-कानपुर से एमएससी की डिग्री प्राप्त करने के बाद विभव ने  2019 में रसायन विज्ञान से CSIR, NET/JRF परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 52 हासिल की और साथ ही GATE की परीक्षा भी पास की। वर्तमान में, विभव शुक्ला नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रायपुर में पीएचडी कर रहे हैं।

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