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मानव जीवन के लिए खतरनाक मोबाइल रेडिएशन
News Date:- 2024-06-08
मानव जीवन के लिए खतरनाक मोबाइल रेडिएशन
vaishali jauhari

लखनऊ,08 Jun 2024

मानव जीवन के लिए खतरनाक मोबाइल रेडिएशन

स्मार्टफोन आजकल लोगों की ज़िदगी का एक अहम हिस्सा बन गया है। उठते-बैठते, खाते-पीते, सोते-जागते हर वक्त मोबाइल फोन हमारे साथ रहता है। लोग खाना खाए बिना तो कुछ देर रह सकते हैं लेकिन मोबाइल का डाटा खत्म हो जाय या बैटरी डिस्चार्ज हो गई है तो फिर तो पूछिए मत। ऐसा लगता है मानो ज़िन्दगी ख़त्म हो गई है।

स्मार्ट फोन्स पर आज हम सभी इतने ज्यादा निर्भर हो गए हैं कि किसी से फोन पर बात करनी हो, पेमेंट करना हो या फिर इंटरनेट पर कुछ सर्च करना हो, ऑनलाइन क्लासेस हों, दूर बैठे लोगों से वीडियो काल के ज़रिये बात करनी हो, ऑनलाइन शॉपिंग करनी हो, टिकट बुक कराना हो जैसे और भी तमाम तरह के काम। कहने का मतलब मोबाइल हर वक्त साये की तरह हमारे साथ रहता है। मोबाइल फ़ोन की अधिकता के साथ ही बच्चे तो बच्चे बड़ों में भी गेमिंग की लत बढ़ी है जो कि अब जानलेवा साबित हो रही है।

मोबाइल रेडिएशन से होने वाले नुकसान:

सच तो ये है कि हर चीज़ के अपने कुछ फायदे हैं तो कुछ नुकसान भी हैं। क्या आप जानते हैं कि जिस फोन को आप हर वक्त खुद के साथ रखते हैं वही मोबाइल फ़ोन हमारी सेहत का सबसे बड़ा दुश्मन भी बन सकता है। जी हाँ शायद आपमें से कुछ लोग इस बात से वाकिफ हों कि मोबाइल से रेडिएशन निकलता है, तो हो सकता है कि हममें से कुछ लोगों को इस बात की जानकारी न हो।

गौरतलब हो कि मोबाइल फोन के नेटवर्क के लिए टेलीकॉम कंपनियां अलग-अलग क्षेत्रों में टावर इंस्टॉल करती हैं। टावर का रेडिएशन हमारे संपर्क में सीधे तो नहीं रहता लेकिन मोबाइल फोन जो 24 घंटे हमारे साथ रहता है। ऐसे में ज़ाहिर सी बात है कि इसका मानव शरीर पर प्रभाव बहुत ज्यादा ही पड़ता है।

बता दें कि मोबाइल से निकलने वाला रेडिएशन सेहत के लिए बहुत हानिकारक माना जाता है। रेडिएशन का हमारे दिल और दिमाग दोनों पर बुरा असर पड़ता है। दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है और दिमाग की याददाश्त पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। ये फर्टिलिटी पर भी बुरा असर डालता है।

मोबाइल रेडिएशन से कैंसर, आर्थराइटिस, अल्जाइमर और हार्ट डिज़ीज़ जैसी बीमारीयों का खतरा बढ़ने की संभावना अधिक रहती है। इतना ही नहीं एकाग्रता,आंख सम्बन्धी समस्याओं के साथ-साथ न्यूरो-डेगनेरेटिव डिसऑर्डर का खतरा भी बढ़ जाता है।

चेक करें आपका फोन कितना रेडिएशन फैला रहा है:

मोबाइल फोन से निकलने वाले रेडिएशन को रेडियो फ्रीक्वेंसी रेडिएशन कहा जाता है। फोन से निकलने वाले रेडिएशन को SAR वैल्यू में मापा जाता है। SAR का मतलब है कि Specific Absorption Rate। क्या आपको पता है कि आपका मोबाइल कितना रेडिएशन फैला रहा है ? बहुत ही आसानी से आप इस बात की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

अपने फोन की SAR वैल्यू का पता लगाने के लिए आपको सबसे पहले मोबाइल का डायल पैड ओपन करना होगा। डॉयल पैड ओपन करने के बाद आपको *#07# कोड डॉयल करना है। जैसे ही आप इस कोड को डॉयल करेंगे आपके स्क्रीन पर एक पॉप-अप आएगा जिसमें आपके मोबाइल की SAR वैल्यू लिखी होगी।

भारत में SAR वैल्यू की एक लिमिट निश्चित है और तय लिमिट के हिसाब से फोन का रेडिएशन लेवल 1.6 वाट प्रति किलोग्राम से ज्यादा नहीं होना चाहिए। अगर आपके फोन की SAR वैल्यू इस लिमिट से ज्यादा आ रही है तो इसका मतलब साफ है कि आपका फोन सेहत के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है।

रेडिएशन से बचने के तरीके:

टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स की मानें तो मोबाइल को रेडिएशन से बिलकुल मुक्त तो नहीं किया जा सकता लेकिन हाँ कुछ हद तक मोबाइल रेडिएशन के असर को कम किया जा सकता है।

ध्यान रखें फोन को चार्जिंग पर लगाकर कभी बात न करें। इस वक्त मोबाइल रेडिएशन दस गुना तक बढ़ जाता है। ना भूलें कि रेडिएशन का असर दिमागी सेल्स पर भी पड़ता है। अगर लंबे समय तक फोन पर बात करना ज़रूरी है तो सबसे सही तरीका है कि आप फोन को स्पीकर पर रखकर बात करें या बात करते समय ईयरफोन या हेडफ़ोन का इस्तेमाल करें। इससे शरीर पर रेडिएशन का इफेक्ट कम पड़ता है।

कई बार आप फोन में मल्टी-टास्किंग कर रहे होते हैं या गेम खेल रहे होते हैं या फिर लो बैटरी में भी लगातार फोन चला रहे होते हैं। इस तरह की चीजों से बचें। मोबाइल फोन को कमीज़ की जेब या पैंट की जेब में रखने से बचें। अच्छे मोबाइल केस का इस्तेमाल करें। सोते समय अपने सिरहाने मोबाइल फोन रखने से बचें।

सिग्नल कमज़ोर होने पर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन सबसे ज्यादा होता है। खासकर जब आप बेसमेंट या लिफ्ट जैसी जगहों पर हों। ऐसी स्तिथि में फोन कॉल करने से बचें।

इन सब सावधानियों को आत्मसात कर आप मोबाइल रेडिएशन जैसे खतरे को बहुत हद तक दूर कर सकते हैं।

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