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जलवायु परिवर्तन या ग्लोबल वार्मिंग एक विनाशकारी परिणाम, बचाव और बदलाव क्यों है जरूरी ?
News Date:- 2024-05-06
जलवायु परिवर्तन या ग्लोबल वार्मिंग एक विनाशकारी परिणाम, बचाव और बदलाव क्यों है जरूरी ?
prince raj

लखनऊ,06 May 2024

Lucknow; जलवायु परिवर्तन या ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते नकारात्मक प्रभाव से अब कोई अंजान नहीं है। प्राकृतिक पर्यावरण, मानव समूह व धरती पर रहने वालों सभी जीव जंतुओं के लिए यह खतरनाक है। जलवायु परिवर्तन सामान्यतः तापमान बढ़ने, खराब वायु गुणवत्ता, प्राकृतिक उत्पादों को नष्ट करने, खराब उर्वरक जैसे तमाम कारणों का केंद्र है। जलवायु परिवर्तन होने के आम तौर पर कई कारण हैं, कई रासायनिक गैसे भी इसमें सक्रिय भूमिका निभाती हैं जिसमें सबसे महत्वपूर्ण है कार्बन डाई ऑक्साइड और मीथेन।

मानव संसाधनों से जुड़ी चीजे भी इसमें एक प्रमुख कारण है जैसे  जीवाश्म ईंधन जलाने, जंगलों को काटने से जलवायु और पृथ्वी के तापमान पर तेजी से प्रभाव पड़ रहा है। इससे वायुमंडल में प्राकृतिक रूप से मौजूद ग्रीनहाउस गैसों में भारी मात्रा में ग्रीनहाउस गैसें जुड़कर ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा दे रही है।

आंकड़ों में जाएं तो वर्ष 2011-2020 सबसे गर्म दशक दर्ज किया गया।  2019 में वैश्विक औसत तापमान पूर्व से 1.1 डिग्री सेल्सियस ऊपर पहुंच गया था। ग्लोबल वार्मिंग वर्तमान में प्रति दशक 0.2 डिग्री सेल्सियस की दर से बढ़ रही है। पूर्व दशक या पूर्व-औद्योगिक समय की तुलना में देखा जाए तो यह आंकड़ा प्रति दशक 2 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है जिससे प्राकृतिक खेती के साथ मानव स्वास्थ्य पर इसका गंभीर असर देखने को मिला है। इससे वैश्विक पर्यावरण में खतरनाक और संभवतः विनाशकारी परिवर्तन होने का बहुत अधिक जोखिम भी शामिल है।

ग्लोबल वार्मिंग जैसी अंतर्राष्ट्रीय समस्या पर गौर करते हुये अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने तापमान को 2°C कम रखने  के प्रयासों को आगे बढ़ाने की आवश्यकताओं पर ज़ोर दिया है। इसके घटकों की बात करें तो इसमें मुख्य कारक ग्रीन हाउस प्रभाव है। पृथ्वी के वायुमंडल में कुछ गैसें उस तरह से काम करती हैं जैसे कांच के बने एक ग्रीनहाउस में । वह सूरज की गर्मी को  अंतरिक्ष में वापस जाने से रोकती हैं और ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनती हैं।
इनमें से कई ग्रीनहाउस गैसें प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होती हैं, लेकिन मानवीय गतिविधियां वायुमंडल में उनमें से कुछ की सांद्रता बढ़ा रही हैं, विशेष रूप से--

  • कार्बन डाइऑक्साइड ( CO2 )
  • मीथेन योगदान 
  • नाइट्रस ऑक्साइड
  • फ्लोराइड युक्त गैसें
  • मानवीय गतिविधियों से उत्पन्न CO2 ग्लोबल वार्मिंग में सबसे बड़ा कारण है । 

नाइट्रस ऑक्साइड, CO2 की तरह एक लंबे समय तक रहने वाली ग्रीनहाउस गैस है जो दशकों से सदियों तक वायुमंडल में जमा होती रहती है। गैर-ग्रीनहाउस गैस प्रदूषक, जिनमें कालिख जैसे एरोसोल शामिल हैं, के अलग-अलग वार्मिंग और शीतलन प्रभाव होते हैं और ये खराब वायु गुणवत्ता जैसे अन्य मुद्दों से भी जुड़े होते हैं। प्राकृतिक कारणों जैसे कि सौर विकिरण या ज्वालामुखीय गतिविधि में परिवर्तन का अनुमान है कि 1890 और 2010 के बीच कुल वार्मिंग में प्लस या माइनस 0.1 डिग्री सेल्सियस से कम योगदान रहा है।

बढ़ते उत्सर्जन के कारण--

कोयला, तेल और गैस जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड और नाइट्रस ऑक्साइड उत्पन्न होता है।

वनों को काटना-

पेड़ वातावरण से CO2 को अवशोषित करके जलवायु को नियंत्रित करने में मदद करते हैं । जब उन्हें काट दिया जाता है, तो वह लाभकारी प्रभाव नष्ट हो जाता है और पेड़ों में संग्रहीत कार्बन वायुमंडल में छोड़ दिया जाता है, जिससे ग्रीनहाउस प्रभाव बढ़ जाता है।

जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करना--

चूँकि उत्सर्जित CO2 का प्रत्येक टन ग्लोबल वार्मिंग में योगदान देता है, सभी उत्सर्जन में कटौती इसे धीमा करने में योगदान देती है। ग्लोबल वार्मिंग को पूरी तरह से रोकने के लिए दुनिया भर में CO2 उत्सर्जन को शून्य तक पहुंचाना होगा। इसके अलावा, मीथेन जैसी अन्य ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने से भी ग्लोबल वार्मिंग को धीमा करने पर एक शक्तिशाली प्रभाव पड़ सकता है।
 

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